मेधावी नेता मंत्री बन गए ....बड़े ज़िले में बंगला मिल गया....नए नए थे तो इंसानियत भी ज़िन्दा थी और नेतागिरी का घमंड सर पर अभी आया नहीं था
नेता साहब के बैडरूम की खिड़की सड़क की ओर खुलती थी।
रोज़ाना हज़ारों आदमी और वाहन उस सड़क से गुज़रते थे।
नेता साहब इस बहाने जनता की परेशानी और दुःख-दर्द को निकट से जान लेते।
एक सुबह नेता साहब ने खिड़की का परदा हटाया।
भयंकर सर्दी, आसमान से गिरती ओस, और भयंकर शीतलहर।
अचानक उन्हें दिखा कि बेंच पर एक आदमी बैठा है। ठंड से सिकुड़ कर गठरी सा होता।
नेता साहब ने पीए को कहा- उस आदमी के बारे में जानकारी लो और उसकी ज़रूरत पूछो !!!
दो घंटे बाद। पीए ने नेता साहब को बताया- सर, वो एक भिखारी है। उसे ठंड से बचने के लिए एक अदद कंबल की ज़रूरत है।
नेता साहब ने कहा- ठीक है, उसे कंबल दे दो।
अगली सुबह नेता साहब ने खिड़की से पर्दा हटाया।
उन्हें घोर हैरानी हुई। वो भिखारी अभी भी वहां जमा है। उसके पास ओढ़ने का कंबल अभी तक नहीं है।
नेता साहब गुस्सा हुए और पीए पूछा- यह क्या है???
उस भिखारी को अभी तक कंबल क्यों नहीं दिया गया???
पीए ने कहा- मैंने आपका आदेश डीएम महोदय को बढ़ा दिया था।
डीएम महोदय आये कहा- मैंने आपका आदेश तहसीलदार महोदय को बढ़ा दिया था।
मैं अभी देखता हूं कि आदेश का पालन क्यों नहीं हुआ।।।
थोड़ी देर बाद तहसीलदार साहब नेता के सामने पेश हुए और सफाई देते हुए बोले- सर, हमारे शहर में हज़ारों भिखारी हैं। अगर एक भिखारी को कंबल दिया तो शहर के बाकी भिखारियों को भी देना पड़ेगा। अगर न दिया तो आम आदमी और मीडिया हम पर भेदभाव का इल्ज़ाम लगायेगा।।।
नेता को गुस्सा आया- तो फिर ऐसा क्या होना चाहिए कि उस ज़रूरतमंद भिखारी को कंबल मिल जाए???
तहसीलदार साहब ने सुझाव दिया- सर, ज़रूरतमंद तो हर भिखारी है।।।
सरकार की तरफ से एक 'कंबल ओढ़ाओ, भिखारी बचाओ' योजना शुरू की जाये।
उसके अंतर्गत जिले के सारे भिखारियों को कंबल बांट दिया जाए।।।
नेता खुश हुए।।।
अगली सुबह नेता ने खिड़की से परदा हटाया तो देखा कि वो भिखारी अभी तक बेंच पर बैठा है।
नेता आग-बबूला हुए। डीएम साहब और फिर तहसीलदार साहब तलब हुए।
उन्होंने स्पष्टीकरण दिया- सर, भिखारियों की गिनती की जा रही है ताकि उतने ही कंबल की खरीद हो सके। नेता दांत पीस कर रह गए।
अगली सुबह नेता को फिर वही भिखारी दिखा वहां।।। नेता खून का घूंट पीकर
डीएम साहब और फिर तहसीलदार साहब की फ़ौरन पेशी हुई।
विनम्र तहसीलदार साहब ने बताया- सर, बाद में ऑडिट ऑब्जेक्शन ना हो इसके लिए कंबल ख़रीद का शार्ट-टर्म टेंडर दिया गया है।
आज शाम तक कंबल ख़रीद हो जायेगी और रात में बांट भी दिए जाएंगे।।।
नेता ने कहा- यह आख़िरी चेतावनी है।।।
अगली सुबह नेता ने खिड़की पर से परदा हटाया तो देखा बेंच के इर्द-गिर्द भीड़ जमा है।।।
नेता ने पीए को भेज कर पता लगाया।।।।
पीए ने लौट कर बताया- सर कंबल नहीं होने के कारण उस भिखारी की ठंड से रात मौत हो गयी है।।।
गुस्से से लाल-पीले नेता ने फौरन से डीएम अवं तहसीलदार साहब को तलब किया।
तहसीलदार साहब ने बड़े अदब से सफाई दी- सर, खरीद की कार्यवाही पूरी हो गई थी। आनन-फानन हमने सारे कंबल बांट भी दिए, मगर अफ़सोस कंबल कम पड़ गये।।।
नेता ने पैर पटके- आख़िर क्यों??? मुझे अभी जवाब चाहिये।।।
तहसीलदार साहब ने नज़रें झुका कर कहा- सर, भेदभाव के इल्ज़ाम से बचने के लिए हमने अल्फाबेटिकल आर्डर(वर्णमाला) से कंबल बांटे।
बीच में कुछ फ़र्ज़ी भिखारी आ गए।
आख़िर में जब उस भिखारी नंबर आया तो कंबल ख़त्म हो गए।।।।
नेता चिंघाड़े- आखिर में ही क्यों???
तहसीलदार साहब ने कहा- क्योंकि सर, उस भिखारी का नाम 'ज्ञ' से शुरू होता था।।।
ये है आज की नौकरशाही (Bureaucracy) ....
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