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Justice is where Judges follow Law-KD Aggarwal. Powered by Blogger.

If Judgments were based on law, every lawyer will get same fees!-KD Aggarwal

Facts and Statute are Not Relevant. They are invented / concealed / amended by corrupt Judges - KD Aggarwal.

Let us make India Corruption free

The matter and inference drawn are based on actual personal experiences of Author. They are meant to serve as beacon to those who may find themselves in similar situations to save themselves from clutches of unscrupulous persons. They are also meant to serve as an eye opener to those men who are sitting at Helm of Affairs for improvement of judicial system and corruption free India, so that never again one says; "the law court is not a cathedral (what they used to be) but a casino where so much depends on the throw of the dice (and money). K R Narayanan http://www.krnarayanan.in/html/speeches/others/jan28_00.htm

Transparency improves Accountability

Every Judge is Public Servant and thus accountable for his acts. Transparency of Complaints against Judges and instant stringent action for perjury and violation of their oath will improve Dignity of Courts and Justice delivery.

Friday, April 1, 2022

Indian Police

मैं पुलिस हूँ.......
मैं जानता था कि फूलन देवी ने नरसंहार किया है, लेकिन संविधान ने बोला की चुप वो SP की नेता है, उसके बॉडीगार्ड बनो; मै बना, क्यूँकि मैं पुलिस हूँ.......
मैं जानता था कि शाहबुद्दीन ने चंद्रशेखर प्रसाद के तीन बेटों को मारा है, लेकिन संविधान
ने बोला कि चुप वो RJD का नेता है, उसके बॉडीगार्ड बनो; मै बना, क्यूँकि मैं पुलिस हूँ.....
मैं जानता था कि कुलदीप सेंगर का चरित्र ठीक नही है और उसने दुराचार किया है, लेकिन संविधान
ने बोला कि चुप, वो भाजपा का नेता है, उसके बॉडीगार्ड बनो; मै बना, क्यूँकि मैं पुलिस हूँ........
मैं जानता था कि मलखान सिंह बिशनोई ने भँवरी देवी को मारा है, लेकिन संविधान ने बोला कि चुप, वो कांग्रिस का नेता है, उसके बॉडीगार्ड बनो; मै बना, क्यूँकि मैं पुलिस हूँ.....
मैं जानता हूँ कि दिल्ली के दंगो में अमानतुल्लाह खान ने लोगों को भड़काया, लेकिन संविधान ने बोला कि चुप, वो AAP का नेता है, उसके बॉडीगार्ड बनो; मै बना, क्यूँकि मैं पुलिस हूँ......
मैं जानता हूँ कि Syed Ali Shah Gilani, Yaseen Malik, Mirwaiz Umar Farooq आंतंकवादियो का साथ देते हैं, लेकिन संविधान ने बोला कि चुप, वो कश्मीरी नेता है, उसके बॉडीगार्ड बनो; मै बना, क्यूँकि मैं पुलिस हूँ......
आपको भी पता था की इशरत जहाँ, तुलसी प्रजापति आतंकवादी थे, लेकिन फिर भी आपने हमारे
बंजारा साहेब को कई सालों तक जेल में रखा; मैं चुप रहा, क्योंकि मै पुलिस हूँ ........
हम और आप सभी जानते हैं कि बड़ी संख्या मे सांसद और विधायक गंभीर आपराधिक चरित्र के हैं
और उनके ऊपर कई संगीन अपराधों के मुकदमे लम्बित हैं, फिर भी हमें उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा मे लगाया जाता है और हमे यह करना पड़ता है क्योंकि उन्ही के द्वारा बनाया हमारा संविधान और कानून यही चाहता है... मैं चुप रहता हूँ, क्योंकि मै पुलिस हूँ .........
कुछ सालों पहले हमने विकास दुबे, जिसने एक नेता का ख़ून किया था, को आपके सामने प्रस्तुत किया था, लेकिन गबाह के अभाव में आपने उसे छोड़ दिया था, मैं चुप रहा क्योंकि मै पुलिस हूँ .........
लेकिन My Lord, विकास दुबे ने इस बार ठाकुरों को नही, चंद्रशेखर के बच्चों को नही, भँवरी देवी को नही, किसी नेता को नही, मेरे अपने आठ पुलिस वालों की बेरहमी से हत्या की थी, उसको आपके पास लाते तो देर से ही सही लेकिन आप मुझे उसका बॉडीगार्ड बनने पर ज़रूर मज़बूर करते। इसी उधेड़बुन और डर से मेंने रात भर उज्जैन से लेकर कानपुर तक गाड़ी चलायी और कब नींद आ गयी, पता ही नही चला और ऐक्सिडेंट हो गया और उसके बाद की घटना सभी को मालूम है...!
My Lord, कभी सोचिएगा कि अमेरिका जैसे सम्पन्न और आधुनिक देश में पाँच सालों में पुलिस ने 5511 अपराधियों का एंकाउंटर किया, वहीं हमारे विशाल जनसंख्या वाले देश में पिछले पाँच साल में 824 एंकाउंटर हुए और सभी मे पुलिस वालों पर जाँच चल रही है...
My Lord, मै यह नही कह रहा हूँ की एंकाउंटर सही है लेकिन बड़े बड़े वकीलों द्वारा अपराधियों को
बचाना फिर उनका राजनीति में आना और फिर आपके द्वारा हमें उनकी सुरक्षा में लगाना अब बंद होना चाहिये!
सच कह रहा हूँ- अब थकने लगे हैं हम, संविधान जो कई दशकों पहले लिखा गया था, उसमें अब मूलभूत बदलाव की आवश्यकता है। यदि बदलाव नही हुए तो ऐसी घटनाएँ होती रहेंगी और हम और आप कुछ दिन हाय तौबा करने के बाद चुप हो जाएँगे।
मूल में जाइए और रोग को जड़ से ख़त्म कीजिए, रोग हमारी क़ानून प्रणाली में है, जिसे सही
करने की आवश्यकता है; अन्यथा देर सबेर ऐसी घटनायों को सुनने के लिए तैयार रहिये।
प्रार्थी-                                      
हिंदुस्तान की पुलिस